B.A. 1st Semester हिंदी साहित्य Important Questions 2025

भारतीय संस्कृति का अमूल्य धरोहर है। यह विभिन्न युगों में विकसित हुआ है और हर युग की सामाजिक, धार्मिक व सांस्कृतिक विशेषताओं को प्रतिबिंबित करता है। नीचे हिंदी साहित्य के विकास को प्रमुख युगों के अनुसार संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है:
- आदिकाल (1050-1350 ई.):
इस काल को वीरगाथा काल भी कहा जाता है। इसमें मुख्यतः वीर रस प्रधान रचनाएँ रची गईं। प्रमुख रचनाकारों में चंदबरदाई (पृथ्वीराज रासो) शामिल हैं। - भक्तिकाल (1350-1700 ई.):
यह काल भक्ति और आध्यात्मिकता से भरपूर रहा। दो धाराएँ थीं – निर्गुण (कबीर, दादू) और सगुण (तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई)। यह युग सामाजिक जागरूकता और आध्यात्मिक उन्नयन का था। - रीतिकाल (1700-1900 ई.):
इस युग में शृंगार रस की प्रधानता रही। काव्य सौंदर्य, नायिका-भेद, और प्रेम विषयक रचनाएँ प्रमुख रहीं। बिहारी, केशव, चिंतामणि त्रिपाठी आदि रचनाकारों ने योगदान दिया। - आधुनिक काल (1900 से वर्तमान):
इस युग में राष्ट्रीयता, समाज सुधार, और यथार्थवाद की अभिव्यक्ति हुई। भारतेंदु हरिश्चंद्र, प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त, सुमित्रानंदन पंत, अज्ञेय आदि प्रमुख साहित्यकार रहे।
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Credit MONISH SAMSON
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