मोदी का दुनिया को संदेश… आतंकियों की मदद करने वालों को उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी
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भोपाल
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पहली बार भोपाल कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अब आतंकियों के जरिए छद्म नहीं चलेगा। कोई गोली चलाएगा तो जवाब गोले से दिया जाएगा। पीएम एम शनिवार को भोपाल में लोकमाता देवी अहिल्याबाई की युद्ध आठवीं जयंतीमाका अवसर पर आयोजित ‘महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन’ को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए कहा, भारत ने आतंक के खिलाफ नई नीति और नया दृष्टिकोण अपना लिया है।
शनिवार को तय समय पर भोपाल पहुंचे पीएम महिलाओं की भारी संख्या को देखते हुए 40 मिनट अधिक रुके। मंच पर पहुंचते ही राज्यपाल मंगुभाई पटेल से तिरंगा लेकर लहराया। जम्बूरी मैदान में आयोजित सभा में पीएम ने कहा, पहले की सरकारें सिर्फ शोक प्रकट करती थीं, लेकिन अब भारत प्रतिकार करता है। पहलगाम हमले के बाद हमने दुनिया को संदेश दे दिया कि आतंकियों की मदद करने वालों को उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। पीएम ने कहा, पहलगाम में आतंकियों ने भारतीयों का खून नहीं बहाया, हमारी संस्कृति पर प्रहार किया। समाज को बांटने की कोशिश की। नारी शक्ति को चुनौती दी। युद्ध यही चुनौती आतंकियों के आकाओं का काल बन गई। ऑपरेशन सिंदूर आतंकियों के खिलाफ भारत के इतिहास का सबसे सफल ऑपरेशन था। जहां पाकिस्तान ने सोचा तक नहीं था, वहां तक घुसकर आतंकी ठिकानों को मिट्टी में मिला दिया। सौ किमी घुसकर डंके की चोट पर मारा। गौरतलब है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों ने 26 नागरिकों की हत्या कर दी थी। जवाब में सेना ने 6 मई की रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था।

मोदी का दुनिया को संदेश… आतंकियों की मदद करने वालों को उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी
सिंदूर भारत के प्रतिरोध का प्रतीक बन गया है…
पीएम ने कहा, ‘सिंदूर’ केवल विवाहित स्त्रियों का श्रृंगार नहीं, भारत की वीरता और साहस का प्रतीक बन गया है। भारतीय परंपरा में सिंदूर नारी शक्ति का प्रतीक है। हनुमान जी भी रामभक्ति में सिंदूर धारण करते हैं। शक्तिपूजा में हम सिंदूर अर्पित करते हैं। अब यही सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ हमारे प्रतिरोध का प्रतीक बन चुका है। हम जानते हैं कि बीएसएफ का इस ऑपरेशन में कितना बड़ा रोल रहा। बीएसएफ की हमारी बेटियों ने सीमापार से होने वाली फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया। राष्ट्र रक्षा में भारत की बेटियों का सामर्थ्य दुनिया देख रही है। नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन हो या सीमापार का आतंक हो, बेटियां सुरक्षा की ढाल बन रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, मेरा सौभाग्य है- आदिवासी बेटी (राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु) के मार्गदर्शन में मुझे आदिवासी भाई-बहनों की सेवा का मौका मिला है। पीएम ने मुस्लिम महिलाओं का जिक्र किए बगैर कहा, देवी अहिल्याबाई को कई बड़े सामाजिक सुधारों के लिए याद रखा जाएगा। आज हम बेटियों की शादी की उम्र की चर्चा करें, तो कुछ लोगों को सेक्युलरिज्म (धर्मनिरपेक्षता) खतरे में दिखता है। उनको लगता है कि ये हमारे धर्म के खिलाफ है। देवी अहिल्या को देखिए, उस जमाने में भी वे बेटियों की शादी की उम्र के विषय में सोचती थीं। उनकी शादी छोटी उम्र में हुई, लेकिन उन्हें पता था, बेटियों के विकास के लिए कौन सा रास्ता चाहिए।
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