अमृतकौर अस्पताल के थियेटर में सीलन, छत टपकती है, इसलिए एक साल से अब तक नेत्र ऑपरेशन नहीं 2025

अमृतकौर अस्पताल न्यूज | ब्यावर

ब्यावर के राजकीय अमृतकौर अस्पताल का नेत्र विभाग संकट से जूझ रहा है। डॉक्टरों की कमी और ऑपरेशन थिएटर की बदहाली के कारण मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल रहा है और उन्हें छोटी-छोटी समस्याओं के लिए भी अन्य शहरों में रैफर किया जा रहा है। ब्यावर के राजकीय अमृतकौरअस्पताल में नेत्र विभाग में पिछले सालजून से आंखों के आपरेशन नहीं हो रहेहैं। अस्पताल में पिछले जून में आंखों का ऑपरेशन किया गया था उसके बादसे आंखों का ऑपरेशन नहीं हुए हैं।कारण है अस्पताल का नेत्र ऑपरेशनथिएटर की बदहाली। ऑपरेशन थिएटरमें सीलन और बरसात के पानी केटपकने के कारण उसे बंद कर दिया गयाथा और तब से यह बंद है। ब्यावर में पिछले लगभग 1 साल से आंखों के मरीज को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऑपरेशन न होने के कारण मरीजोंको छोटी-छोटी चीजों के लिए भी अजमेर रैफर किया जा रहा है।

अमृतकौर अस्पताल
अमृतकौर अस्पताल

आखिरी ऑपरेशन पिछले साल 20 जून को हुआ था उसके बाद जांच के दौरान नेत्र ऑपरेशन थिएटर की खराब स्थिति के कारण उसे गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं माना गया था। आंखों के ऑपरेशन के दौरान अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ती है तथा मरीजों को इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। सरकार के द्वारा भी एक साल गुजर जाने के बाद भी इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नेत्र रोग के मरीजों को अजमेर रैफर किया जा रहा है।

ब्यावर जिला अस्पताल में नेत्र विभाग में एकमात्र नेत्र चिकित्सक डॉ. हेमलता बाकोलिया कार्यरत हैं। जिला अस्पताल होने के हैं, नाते ब्यावर जिले भर से मरीज यहां आते जिससे मरीजों का भारी दबाव रहता है। एक ही डॉक्टर होने के कारण कार्य बुरी तरह प्रभावित होता है। जब डॉ. बाकोलिया छुट्टी पर होती हैं या किसी कैंप में ड्यूटी पर जाती हैं अथवा दिन की ड्यूटी पर होती है तो मरीजों को बिना इलाज के वापस लौटना पड़ता है। इस दौरान नेत्र सहायक केवल आंखों की रोशनी की जांच कर पाते हैं, लेकिन उचित परामर्श न मिल पाने के कारण मरीज निराश होकर लौट जाते हैं। ब्यावर के अतिरिक्त जिले के मसूदा में नेत्र चिकित्सक को लगाया गया है लेकिन वहां भी जनरल मरीजों का ही इलाज

अस्पताल में मरीजों का भारी दबाव, काम प्रभावित

कर रहे है। इसके अलावा जैतारण, जवाजा में भी नेत्र चिकित्सक के नहीं होने के कारण मरीजों को ब्यावर आकर दिखाना पड़ता है। अमृतकौर अस्पताल के नेत्र रोग ओपीडी में रोजाना लगभग 130 मरीज दिखाने आते हैं, जिनमें आंखों के ऑपरेशन से संबंधित मरीज भी शामिल होते हैं। ऑपरेशन थिएटर नहीं होने

के कारण उन्हें अनावश्यक रूप से रैफर किया जाता है। जिससे उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है।

थिएटर की स्थिति खराब

ऑपरेशन थिएटर में सीलन और बरसात का पानी टपकने के कारण उसे बंद कर दिया गया था। तभी से यह बंद है। अस्पताल में आने वाले मरीजों की जांच की जाती है। ऑपरेशन की स्थिति होने पर रैफर किया जाता है। ऑप्रेशन थिएटर की खराब स्थिति के कारण उसे बंद कर दिया गया है। इस बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया है।

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